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<document>
<passage>
मौसी खुशी-खुशी सबके जर्जर सामानों को रखतीं। उन जर्जर सामानों में से वे उन सामानों को अलग कर लेतीं, जो भविष्य में काम दे सकती थीं। बिलकुल बेकार सामानों को वे सड़क पर रखे म्युनिसपैलिटी के कूड़ेदान में गिरा देती थीं। पुराने सामानों का संग्रह करने में उन्हें बड़ा आनन्द मिलता था। इससे उनका अकेलापन भी दूर हो जाता था।
</passage>
<anaphoraresolved>
मौसी खुशी-खुशी सबके जर्जर सामानों को रखतीं। उन जर्जर सामानों में से मौसी उन सामानों को अलग कर लेतीं, जो भविष्य में काम दे सकती थीं। बिलकुल बेकार सामानों को मौसी सड़क पर रखे म्युनिसपैलिटी के कूड़ेदान में गिरा देती थीं। पुराने सामानों का संग्रह करने में मौसी बड़ा आनन्द मिलता था। इससे मौसी का अकेलापन भी दूर हो जाता था।
</anaphoraresolved>
<stemmed>
मौसी खुश-खुश सबक जर्जर सामान क रख। उन जर्जर सामान में से वे उन सामान क अलग कर लेत, जो भविष्य में काम दे सकत थ। बिलकुल बेकार सामान क वे सड़क पर रख म्युनिसपैलिटी क कूड़ेदान में गिर देत थ। पुरान सामान क संग्रह करन में उन्ह बड़ आनन्द मिलत थ। इस उन अकेला भी दूर हो जात थ।
</stemmed>
<qa>
<q>
मौसी सामानों में से क्या अलग कर देती थी ?
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<a>
उन जर्जर सामानों में से वे उन सामानों को अलग कर लेतीं, जो भविष्य में काम दे सकती थीं।
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<l> 2 </l>
</qa>
<qa>
<q>
मौसी सामानों को कहाँ फेंक देती थी ?
</q>
<a>
बिलकुल बेकार सामानों को वे सड़क पर रखे म्युनिसपैलिटी के कूड़ेदान में गिरा देती थीं।
</a>
<l> 3 </l>
</qa>
<qa>
<q>
मौसी सामानों को अलग-अलग क्यों करती थी ?
</q>
<a>
इससे उनका अकेलापन भी दूर हो जाता था।
</a>
<l> 5 </l>
</qa>
</document>